साल 2025 में सीबीएसई (CBSE) ने पहली से 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिनका असर स्कूल शिक्षा और परीक्षाओं पर सीधा पड़ेगा।
यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं, ताकि बच्चों की पढ़ाई रटने की बजाय समझ और कौशल विकास पर केंद्रित हो। पहले परीक्षाओं का ढांचा पारंपरिक तरीके से चलता था, लेकिन अब नई व्यवस्था में बच्चों पर अतिरिक्त तनाव कम रहेगा और उनके सीखने का स्तर बढ़ेगा।
अब तक बोर्ड की परीक्षाओं में लंबा लिखने और याद करने पर ज़ोर रहता था, जिससे बहुत बच्चे सिर्फ अंक लाने के लिए पढ़ाई करते थे। नई व्यवस्था में सीबीएसई ने आंतरिक मूल्यांकन, प्रोजेक्ट वर्क और बच्चों की सोचने की क्षमता पर जोर दिया है। इस बदलाव से छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और परीक्षा प्रणाली भी ज्यादा पारदर्शी एवं आधुनिक हो जाएगी।
CBSE New Rule 2025
साल 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से लागू किए गए प्रमुख बदलाव हर कक्षा के छात्र—चाहे वे सरकारी स्कूल में हो या प्राइवेट में—पर लागू होंगे। अब पढ़ाई और परीक्षा दोनों में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
सबसे बड़ा बदलाव कक्षा 10 के छात्रों के लिए दो बार बोर्ड परीक्षा देने का विकल्प है। 2025-26 सत्र से, छात्र साल में दो बार बोर्ड परीक्षा दे सकते हैं—पहली मुख्य परीक्षा और दूसरी सुधार (इम्प्रूवमेंट) के लिए। दोनों में बेहतर अंक को ही अंतिम माना जाएगा। इससे बच्चों पर एक बार में बेहतर प्रदर्शन का दबाव कम होगा और वे सीखने पर ध्यान दे सकेंगे।
परीक्षा के पैटर्न में भी परिवर्तन किया गया है। अब प्रश्न-पत्रों में लंबा या रटा-रटाया उत्तर लिखने की जगह ‘कौशल आधारित’ यानी कॉम्पिटेंसी बेस्ड प्रश्न अधिक पूछे जाएंगे। इसमें छात्र की समझ, विश्लेषण शक्ति और समस्या का समाधान खोजने की क्षमता जांची जाएगी।
इसी के साथ, अब छोटी और बड़ी उत्तरों की संख्या घटा दी गई है, ताकि छात्रों का मूल्यांकन बहुपरखी और सटीक तरीके से हो।
नई मूल्यांकन व्यवस्था
अब से परीक्षाओं में 60% अंक मुख्य बोर्ड परीक्षा से और 40% अंक आंतरिक मूल्यांकन से मिलेंगे। आंतरिक मूल्यांकन में प्रोजेक्ट, असाइनमेंट, शिक्षक द्वारा लिया गया टेस्ट और सह-शैक्षणिक गतिविधियां शामिल रहेंगी। इससे छात्र पूरे साल पढ़ाई करते रहेंगे, न कि सिर्फ साल के अंत में तैयारियां करेंगे।
अब पहली से 10वीं तक के विद्यार्थियों के लिए 75% उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। अगर आपकी उपस्थिति कम है तो आपको बोर्ड या स्कूल परीक्षा देने की अनुमति नहीं मिल सकेगी। इसके साथ ही, खेल प्रतियोगिता या ओलंपियाड में हिस्सा लेने वाले बच्चों के लिए वैकल्पिक तारीखों पर परीक्षा देने की सुविधा भी लागू की गई है।
परीक्षा की सुरक्षा व निष्पक्षता
CBSE ने परीक्षाओं की सुरक्षा के लिए सख्त नई निगरानी व्यवस्था लागू की है। अब सेंटरों पर बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन, डिजिटल फिंगरप्रिंटिंग और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा हर उत्तर पुस्तिका पर यूनीक क्यूआर कोड होगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी तरह की नकल या गड़बड़ी ना हो सके।
आंसरशीट चेकिंग के बाद अगर छात्र को कोई गड़बड़ी लगे तो अब री-ईवैल्यूएशन की प्रक्रिया और पारदर्शी बना दी गई है, जिससे छात्रों को शीघ्र और सही परिणाम मिल सकें।
नवाचार और लचीलापन
CBSE ने डिजिटल और प्रायोगिक शिक्षा पर जोर देते हुए स्कूलों को अभिनव प्रोजेक्ट्स, प्रैक्टिकल गतिविधियां और डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई अवश्य शुरू करने के निर्देश दिए हैं। हर विषय की पढ़ाई में असल जिंदगी के उदाहरण, प्रोजेक्ट और केस स्टडी को शामिल किया जा रहा है। इससे छात्रों में रचनात्मक सोच और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी।
किसे मिलेगा फायदा
सीबीएसई के ये नए नियम सरकारी, निजी, ग्रामीण और शहरी—हर तरह के स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के लिए हैं। सभी स्कूलों को इन नियमों का पालन करना जरूरी है। परीक्षा की दोहरी व्यवस्था, बेहतर मूल्यांकन और शैक्षणिक लचीलापन विद्यार्थियों पर बेवजह का दबाव कम करेगा।
अभिभावकों को भी बच्चों की उपस्थिति और प्रोजेक्ट वर्क पर ध्यान देना जरूरी है ताकि हर बच्चे को इन बदलावों का पूरा लाभ मिल सके।
निष्कर्ष
सीबीएसई का नया नियम छात्रों के सर्वांगीण विकास की दिशा में बड़ा कदम है। अब बच्चों पर सिर्फ नंबर लाने का दबाव नहीं रहेगा, बल्कि वे अपनी रुचियां और कौशल भी बेहतर बना पाएंगे।
नई व्यवस्था बच्चों के लिए आसान, आधुनिक और तनावमुक्त शिक्षा का रास्ता खोलेगी। समय पर अद्यतन जानकारी के लिए अभिभावक और छात्र अपनी स्कूल की सूचनाएं और सीबीएसई के दिशा-निर्देश ध्यान से पढ़ें, ताकि बदलाव का पूरा लाभ मिल सके।