हरित क्रांति के बाद, देश के लाखों किसानों ने खेती में शानदार प्रगति की है, लेकिन आज भी कई ऐसे जिले हैं जहाँ कम फसल उत्पादकता, सिंचाई की कमी, भंडारण की समस्या और कम आय के चलते किसान परेशान रहते हैं।
ग्रामीण भारत में खासकर छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों के सामने नई चुनौतियाँ आती रहती हैं, जिनको सरकारी सहायता का इंतजार रहता है।
इन्हीं जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने साल 2025 में “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” (PM Dhan Dhanya Krishi Yojana) शुरू की है।
इसका उद्देश्य है खेती के क्षेत्र में पिछड़े जिलों को उन्नत करना, किसानों की फसल और आमदनी दोनों बढ़ाना और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना। इस योजना के नए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं, जिससे देश के 1.7 करोड़ किसान सीधे लाभान्वित होंगे।
PM Dhan Dhanya Krishi Yojana
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना एक केंद्रीय सरकारी मिशन है, जिसका लक्ष्य है 100 चयनित जिलों की कृषि व्यवस्था को मजबूत बनाना। यह योजना 2025-26 के बजट घोषणा में शामिल की गई थी और कुल छह साल तक चलेगी।
चयनित जिलों का चुनाव कम फसल उत्पादकता, कम फसल सघनता और कम ऋण वितरण जैसे तीन आधारों पर किया गया है। हर राज्य से कम से कम एक जिला योजना में शामिल है, ताकि क्षेत्रीय संतुलन बना रहे।
इस योजना के तहत सरकार 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं को एकसाथ लाकर किसानों को एक ही छत के नीचे लाभ दिलाएगी। इसमें खेती, पशुपालन, मछली पालन, फल-सब्जी उत्पादन, मधुमक्खी पालन जैसी गतिविधियाँ भी शामिल हैं।
मुख्य उद्देश्य है कृषि उत्पादकता की वृद्धि, फसल विविधता को बढ़ावा देना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, कटाई-पश्चात भंडारण क्षमता बढ़ाना और किसानों तक अल्पकालिक व दीर्घकालिक ऋण की आसान पहुँच सुनिश्चित करना।
योजना के तहत मिलने वाले लाभ
योजना में चयनित जिलों के किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक, जैविक खाद, सिंचाई के आधुनिक साधन और वैज्ञानिक सलाह मिलेंगी।
भंडारण की सुविधा, कर्ज की व्यवस्था, मौसम का पूर्वानुमान, मंडी में फसल बेचने के आसान माध्यम भी दिए जाएंगे। कृषक उत्पादक संगठन (FPO), महिला किसान, युवा कृषि उद्यमी और सीमांत व भूमिहीन किसान इस योजना के मुख्य लाभार्थी हैं।
सरकार हर जिले में ‘डिस्ट्रिक्ट धन-धान्य समितियाँ’ बनाएगी, जो योजना के क्रियान्वयन, लाभार्थी चयन और पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगी। आधुनिक कृषि तकनीक, प्रसंस्करण इकाई और नजदीकी मंडियों से जोड़ने के लिए भी सरकार सहायता देगी।
पात्रता और जरूरी दस्तावेज
सिर्फ 100 चयनित जिलों के छोटे, सीमांत, भूमिहीन, महिला या युवा किसान और कृषि श्रमिक इस योजना का हिस्सा बन सकते हैं।
किसान का साक्ष्य, जमीन का दस्तावेज, आधार कार्ड, बैंक खाता, आय प्रमाण पत्र, कृषि पैदावार और यदि कोई कृषक संस्था से जुड़े हैं तो उसकी पुष्टि संबंधित दस्तावेज के रूप में देने होंगे। जिलों की अंतिम सूची सरकार 31 जुलाई 2025 तक जारी करेगी।
आवेदन प्रक्रिया (ऑनलाइन एवं ऑफलाइन)
आवेदन प्रक्रिया को बहुत ही सरल और किसान-अनुकूल बनाया जा रहा है। आवेदन करने के लिए किसान अपने जिले के कृषि कार्यालय, ग्राम पंचायत, या सबसे नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या जिला धन-धान्य समिति में जा सकते हैं। वहाँ से आवेदन फॉर्म प्राप्त कर उसे सही प्रकार से भरें, सभी संबंधित दस्तावेज़ लगाएं और जमा कर दें।
ऑनलाइन आवेदन के लिए आधिकारिक पोर्टल या मोबाइल ऐप भी जल्द लॉन्च किया जाएगा। किसान अपने मोबाइल से पोर्टल पर जाकर जरूरी जानकारी और दस्तावेज अपलोड कर सकेंगे।
ग्रामीण क्षेत्र में जिनके पास इंटरनेट नहीं है, वे कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) की मदद से भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने के बाद फॉर्म की जांच होगी, फिर पात्र पाए जाने पर योजना के लाभ मिलेंगे।
योजना से किसानों को होने वाले लाभ
इस योजना के अंतर्गत, 1.7 करोड़ किसानों की आय में वृद्धि का लक्ष्य है। किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती कर सकेंगे, गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ेगा, फसल विविधता अपनाएंगे और भंडारण-संरक्षण की सुविधा पाएंगे। योजनागत सहायता से गरीबी रेखा से नीचे के किसान, भूमिहीन, महिला और युवा किसानों को रोजगार, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक मजबूती भी मिलेगी।
सरल ऋण, बीज, खाद, सिंचाई और मंडी से जुड़ने जैसे लाभ भी इस योजना में शामिल हैं। इससे किसानों की मुनाफे में बढ़ोत्तरी होगी, गाँवों में पलायन रुकेगा और कृषि सेक्टर तकनीकी तौर पर और मजबूत बनेगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना 2025 खेती में पिछड़े जिलों के किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। किसानों को बेहतर तकनीक, संसाधन और आर्थिक सहायता उपलब्ध होगी।
सभी पात्र किसान अपने नजदीकी कार्यालय या पोर्टल पर आवेदन करें और सरकार द्वारा दी जा रही इस अनूठी पहल का पूरा लाभ उठाएँ, ताकि ग्रामीण भारत और अधिक समृद्ध व मजबूत बन सके।